पूर्वोत्तर हस्तशिल्प एवं हस्तकरघा विकास निगम लिमिटेड(एनई एच एच डी सी) को वर्ष 1977 में निगामित किया गया। संभावित बाजार तथा उपभोक्ताओं के नाम के सुझाव के मुताबिक इस संगठन का लक्ष्य अधिसंख्य शिल्पकारों को जोड़ते हुए क्षेत्र के स्वदेशी दस्तकारी को विकसित पूर्वोत्तर हस्तशिल्प एवं हस्तकरघा विकास निगम लिमिटेड(एनईएचएचडीसी) को वर्ष 1977 में निगामित किया गया। नाम के मुताबिक यह संगठन क्षेत्र के स्वदेशी हस्तकारी को विकसित तथा प्रोन्नत करने का प्रयास करना है, ताकि शिल्पकारों को संभावित बाजार तथा उपभोक्ताओं से जोड़ सके तथा उपभोक्ताओं के लिए सांस्कृतिक मूल्य को संवद्र्धित करते हुए सृजनकत्र्ताओं के लिए आर्थिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक अवसर उपलब्ध करा सके। निगम पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय (डोनियर), भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यशील है।
यह पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों यथा अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय. मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम तथा त्रिपुरा के रेंज के उत्पादों प्रस्तुत करता है। यह संगठन क्षेत्र के दस्तकारों तथा बुनकरों से हस्तशिल्पों तथा हथकरघों को प्राप्त करती है तथा अपने चेन ‘पूरबश्री’ के इंपोरियम जो शिलोंग, गुवाहाटी, कोलकाता, नई दिल्ली, बेंगलोर तथा चेन्नई में स्थित बिक्री प्रोन्नयन कार्यालय के माध्यम से व्यापार मेलों के माध्यम से कई राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में उत्पादों को लोकप्रिय बनाता है।
निगम दस्तकारों तथा बुनकरों की दक्षता तथा ज्ञान को प्रोन्नत करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा सेमिनार को भी संचालित करता है।
लक्ष्य:
भविष्य निरुपण:
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पूर्वोत्तर के हस्तशिल्पों तथा हथकरघा उत्पादों की मांग को बढ़ाकर शिल्पियों, बुनकरों तथा उद्यमियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।
अभियान: